”था अँधेरा छाया हुआ ,
थी दिशाएं सुनसान |
न सृष्टि थी न जीवन था ,
न देह थी न प्राण ||
अकेला था पुरुष परबह्मा पूर्ण का |
इच्छा हुई इस पुरुष की ,
एकोहम बहुष्यामी |
एक से अनेक होने का सतत चिंतन हुआ ,
निज प्रकृति को पुकारा और शून्य में स्पंदन हुआ ||”.
This part shows a male figure standing in a shadow and singing the above lines.
Thereafter गोपीकृष्ण and स्नेहलता dance and sing a duet:
“आ जा रे आ …आजा तुझ बिन साधना मेरी अधूरी है||
तेरे मेरे मिलन से ही सृष्टि पूरी है | आजा रे आ जरा ..||
.........बता तू कौन है ,तेरे बिन क्यों मेरी धड़कन मौन है ||
तू है धरती और मैं आकाश हूँ ,बन के सावन मैं बुझाता प्यास हूँ ||
तू है सावन तो ये मेरा मन मयूरी है |
तेरे मेरे मिलन से ही सृष्टि पूरी है ||
आ जा रे आ जरा ……” composed in राग भूप -कल्याण and sung by मोहम्मद रफ़ी and लता मंगेशकर .
After this they are shown departed and in rainy season Snehlata sings a beautiful composition in राग सूरदासी –मल्हार :
” डर लागे गरजे बदरिया |
सावन की रुत कजरारी कारी चमके मतवारी बिजुरिया |
अब काह करूँ कित जाऊं, मोहे छोड़ गए सांवरिया ||
डर लागे …।
मेहा बरसे नैना तरसे ,प्यासा मनवा तुझको पुकारे |
अब कहा करूँ कित जाऊं ,मोरी सूनी हाय सेजरिया ||
डर लागे ......” sung by लता मंगेशकर .
Then happy phase of their life is shown and again both dance and sing a duet :
” हटो जाओ मत छेड़ो बलम तोरे संग नहीं बोलूं रे |
हटो छोड़ो मत रूठो दुल्हन ,आयी रे रुत बसंत की ||
कुहू कुहू कोयल बोले ,गुन गुन भंवर डोले |
हौले हौले पवन चले ,कलियों के घूँघट खोले |
ऐसे में आओ चलो गले मिले हौले हौले हम ||
आयी रे रुत बसंत की,...... ”,which is composed in राग बसंत मुखारी ( or भैरव बहार ) sung by मोहम्मद रफ़ी and लता मंगेशकर .
This नृत्य नाटिका ends, showing a new born baby and from background a couplet:
”नर नारी के मिलन से ,झूम उठा संसार।
नया फूल जग में खिला ,मिला दिव्य उपहार।” is sung by मोहम्मद रफ़ी composed in राग भैरवी .
Along with very sweet songs,one can enjoy beautiful कत्थक dance pieces,performed by गोपीकृष्ण . This is one of the best Raagmalikas composed for Hindi films.वसंत देसाई had already composed two more Raagmalikas in Hindi films झनक झनक पायल बाजे(१९५५) and गूँज उठी शहनाई(१९५८) .Only a musician of VASANT DESAI'S calibre could create such beautiful musical compositions.
3 comments:
Great research, please keep it up. Thanks a lot
nice
Great blogg I enjoyed reading
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