Dada S.D.Burman |
ASHOK KUMAR |
MANNA DEY |
S.D.BAATISH |
"पूछो न कैसे मैंने रैन बितायी|
इक पल जैसे इक जुग बीता |
जुग बीते मोहे नींद न आयी ।।
उत जले दीपक इत मन मेरा,
फिर भी न जाये मेरे घर का अँधेरा।।
तड़पत तरसत उमर गँवाई ।।
पूछो ना कैसे मैंने रैन बितायी||
ना कहीं चंदा ना कहीं तारे,
जोत के प्यासे मेरे नैन बेचारे।
भोर भी आस की किरन न लायी।।
पूछो ना कैसे मैंने रैन बितायी....।।"
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