Friday, February 19, 2010

'RITU SAMHAAR' OF KALIDAS AS A RAAGMAALIKA IN FILM: KAVI KAALIDAS(1959)




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In India 12 months of the year are divided in six seasons( 6- ऋतुएं );Greeshma, Varsha,Sharad, Hemant ,Shishir and Basant.Their duration according to English Calendar is as follows:शिशिर (22 DEC.-- 19 FEB.),बसंत (20FEB.---21 APR.),ग्रीष्म ( 22 APR.---21JUN.),वर्षा (22 JUNE---21AUG.),शरद ( 22 AUG.---21 OCT.),हेमंत (22 OCT.---21 DEC.).The great Sanskrit poet कालिदास described these six seasons in his famous work 'ऋतु संहार '.On his life a Hindi Film कवि कालिदास was produced in the year 1959. श्री नाथ त्रिपाठी created Music for this film.Film shows the poet कालिदास narrating his verses of 'ऋतु संहार ' before a gathering of cotemporary Sanskrit scholars in काशी .In the available print of the movie description of only three seasons: ग्रीष्म ,वर्षा and शरद is present.I am giving the हिंदी version of 'Ritu Samhar' done by poet भरत व्यास for the film.कालिदास starts singing
" नए नए रंगों से लिखती धरती नयी कहानी ||
 तन मन को पल भर में बदल दें ऋतुएं बड़ी सुहानी ||
 ये ऋतुएं बड़ी सुहानी ||
  ग्रीष्म ऋतु is described as:
ग्रीष्म महीने में कामिनियाँ धूप लगे कुम्हलाय |
 इस ऋतु में वो अगर चन्दन का, अंग में लेप लगाए ||
 सूख गया है सरोवर का जल, सूख गयी सरिताएं || 
 सूख गए हैं पीपल के दल, मुरझाई हैं लताएँ || 
 जाने कहाँ घबरा के छुपी हैं, चंचल आज हवाएं || 
 ऊंघ रहे डालों पर पंछी ,पंखों में चोंच छुपाये || 
 अंग अंग में आलस छाया,अँखियाँ हैं अकुलानी ||
 तन मन को पल भर में बदल दें,ऋतुएं बड़ी सुहानी ||
 ये ऋतुएं बड़ी सुहानी ||
वर्षा ऋतु is described as:
उमड़ घुमड़ घन गरजत आये ,बरखा ऋतु सुखदायी || 
दादुर  मोर पपीहा बोले,हरी हरी धरती की चुनरिया डोले,
बिरहन को दुखदायी ||
भीगी नार खड़ी रसवंती, रिमझिम बरसे पानी || 
पल भर में तन मन को बदल दे, ऋतुएं बड़ी सुहानी || 
ये ऋतुएं बड़ी सुहानी ||
He describes शरद ऋतु as:
शरद सुहावन ऋतु मन भावन,  मदन बदन में अगन लगावन || 
कुञ्ज कुञ्ज में, वन निकुंज में,भ्रमर गुंज गुंजार करे || 
लहरों के चंचल अंचल में, शरद चंद्रिका प्यार भरे ||
पिया की बाहों में कसी कामिनी, ,मन ही मन सकुचानी ||
तन मन को पल भर में बदल दें, ऋतुएं बड़ी सुहानी ||
ये ऋतुएं बड़ी सुहानी....||  
This रागमालिका is  beautifully sung by veteran playback singer मन्ना डे ,expressing the भाव hidden in the verses very correctly.Music director S.N.Tripathi has composed the introductory lines in Raga GAUD SAARANG the ग्रीष्म ऋतु वर्णन in राग KHAMMAJ   .The lyrics of वर्षा ऋतु are composed in राग MIYAN MALHAAR and DESH and शरद ऋतु वर्णन is composed in राग KEDAAR .This  रागमालिका  ends with the narration of वसंत  ऋतु  sung in राग  बसंत .
The poetry is:
ऋतुराज आज सज के सिंगार,गरवा में डार फूलन के हार|
चले झूम झूम छलकाते प्यार |ऋतुराज...||
मंद पवन मकरंद कली में बंद मधुर मधु पान करे |
कुहू कुहू कोकिल  पंचम सुर में कूके ,मधु रस का दान करे||
लहराए हिया प्रीतम से प्रिया, मिल मिल के जिया में मान करे ||
यौवन की उमंग तरंग लिए अंग अंग पे वो अभिमान करे ||
 ऋतुराज आज ...  
{Audio clip - श्री के. एल. पाण्डे जी  के सौजन्य से }. 


1 comment:

Dr. Kedar said...

thnx for sharing the rare gems of music sir... really a very good collection of music... very informative blog.. ll keep visiting... and thnx for appreciating my efforts on raageshree.com...
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