Friday, October 22, 2010

A TRIBUTE TO 'MUKESH','SHAILENDRA' AND 'ANIL BISWAS'

MUKESH
ANIL BISWAS
SHAILENDRA
As a tribute to the heart touching singing of मुकेश  ,I have written a few lines ,which is nothing before the great works of this artist .Even then it expresses my feelings and thoughts for his unforgettable contribution to the world of melodious music through his memorable songs .The video- clip given here has one of his sweetest songs from film छोटी  छोटी  बातें  (1964). I love this song because it expresses the philosophy of human life in a simple way.I also give my tribute to its lyricist ,poet शैलेन्द्र  and its music composer Shri अनिल  बिस्वास .The poem now follows:

                गीत तुमने दिये स्वर जिन्हें,होते थे कुछ अलग रंग में |

                जैसे भावों  से भरते थे तुम , डूबते  सब  उसी  ढंग  में  ||

                मीठी सुंदर सहज गायकी , सोने जैसे खनकते से स्वर |

                शब्द गीतों के बहते थे यूँ  , जैसे उन्मुक्त  निर्झर  प्रखर ||

                मन की गहराइयों में उतर , मर्म का भेद समझाते तुम |

                सुनने वालो के दिल टीसते , नीर नैनो से बहवाते  तुम  ||

                चल दिए छोड़कर ये जहाँ, अलविदा अलविदा कहके तुम|

                थाती गीतों की जो दे गए, उनको  ही अब संजोते है हम ||                              |                                                                                    

Wednesday, October 20, 2010

FIRST RAAGMALIKA IN HINDI FILMS WAS COMPOSED FOR FILM TAANSEN(1942)

Music was the central theme of Hindi film TAANSEN released in the year 1942.Film's story was based on the life of famous classical singer तानसेन , who was a disciple of स्वामी  हरिदास  of वृन्दावन .Later he became famous as Court -Singer of अकबर  in आगरा .He was a नवरत्न  of Akbar's court.Before joining here Taansen was court singer of राजा  रामचंद्र  of रीवा  in मध्य  प्रदेश .In Agra Taansen created many new Classical Raagas remaining in seclusion ,which he used to present in the court of Akbar,keeping the audience spell bound for hours.
In this film music director Khemchandra Prakash presented a situation, in which Taansen is seen creating the new raagas.The hero of the film was famous singer K.L.Sahgal, portraying as Taansen.Sahgal very easily and beautifully rendered the sargams of raagas: दरबारी ,मियां  की  मल्हार  and मियां  की  तोड़ी  in a sequence,which created  the first रागमाला  presented in any Hindi film.

Saturday, October 2, 2010

TERE SUR AUR MERE GEET(LATA MANGESHKAR AND BISMILLAH KHAN)

Lata Mangeshkar


Shehnai Nawaz Bismillah Khan


VASANT DESAI


BHARAT VYAS


Rajendra Kumar


AMEETA
यह गीत राग विहाग में निबद्ध है | लता जी की गायकी और वसंत देसाई जी का संगीत संयोजन अभूतपूर्व है जो हमारे मन को बाँध लेता है | इस  गीत की आत्मा है बिस्मिल्लाह खान जी की मधुर शहनाई, जो उन्होंने फिल्म गूँज उठी शहनाई (१९५९) के लिए बजाई थी |लता जी के मीठे सुरों और बिमिल्लाह खान साहेब की बेजोड़  शहनाई का ऐसा  संयोग फिर कहाँ मिलेगा | दोनों ने मिल कर राग विहाग की जो अवतारणा की है वह सुनते ही बनता है  | इसीलिए  इक्यावन वर्षो बाद भी यह संगीत रचना अपनी मोहकता बनाये हुए है | कवि भारत व्यास ने ऐसे सहज व सुन्दर शब्द संयोजन से गीत को लिखा है ,जो एक बार सुनते ही याद हो जाता है ,क्योंकि इसके मुखड़े  'तेरे सुर और मेरे गीत ' में बहुत व्यापकता है | पूरा गीत इस प्रकार है :
तेरे सुर और मेरे गीत, दोनों मिल कर बनेगी प्रीत||
धड़कन में तू है समाया हुआ, ख्यालों में तू ही तू छाया हुआ |
दुनिया के मेले में लाखो मिले, मगर तू ही तू दिल को भाया हुआ | 
मैं तेरी जोगन तू मेरा मीत ||
मुझको अगर भूल जाओगे तुम,मुझसे अगर दूर जाओगे तुम |
मेरी मोहब्बत में तासीर है, तो खिंच के  मेरे पास आओगे तुम |
देखो हमारी होगी जीत ||
दोनों मिल कर बनेगी प्रीत || 
तेरे सुर और मेरे गीत ..||.