|
Lata Mangeshkar |
|
Shehnai Nawaz Bismillah Khan |
|
VASANT DESAI |
|
BHARAT VYAS |
|
Rajendra Kumar |
|
AMEETA |
यह गीत राग विहाग में निबद्ध है | लता जी की गायकी और वसंत देसाई जी का संगीत संयोजन अभूतपूर्व है जो हमारे मन को बाँध लेता है | इस गीत की आत्मा है बिस्मिल्लाह खान जी की मधुर शहनाई, जो उन्होंने फिल्म गूँज उठी शहनाई (१९५९) के लिए बजाई थी |लता जी के मीठे सुरों और बिमिल्लाह खान साहेब की बेजोड़ शहनाई का ऐसा संयोग फिर कहाँ मिलेगा | दोनों ने मिल कर राग विहाग की जो अवतारणा की है वह सुनते ही बनता है | इसीलिए इक्यावन वर्षो बाद भी यह संगीत रचना अपनी मोहकता बनाये हुए है | कवि भारत व्यास ने ऐसे सहज व सुन्दर शब्द संयोजन से गीत को लिखा है ,जो एक बार सुनते ही याद हो जाता है ,क्योंकि इसके मुखड़े 'तेरे सुर और मेरे गीत ' में बहुत व्यापकता है | पूरा गीत इस प्रकार है :
तेरे सुर और मेरे गीत, दोनों मिल कर बनेगी प्रीत||
धड़कन में तू है समाया हुआ, ख्यालों में तू ही तू छाया हुआ |
दुनिया के मेले में लाखो मिले, मगर तू ही तू दिल को भाया हुआ |
मैं तेरी जोगन तू मेरा मीत ||
मुझको अगर भूल जाओगे तुम,मुझसे अगर दूर जाओगे तुम |
मेरी मोहब्बत में तासीर है, तो खिंच के मेरे पास आओगे तुम |
देखो हमारी होगी जीत ||
दोनों मिल कर बनेगी प्रीत ||
तेरे सुर और मेरे गीत ..||.