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HEMANT KUMAR |
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LATA MANGESHKAR |
ऋतु आये ऋतु जाये,
दुनिया रंग बदलती है
तक़दीर न बदली जाये
ऋतु आये ऋतु जाये,
बहार आयी चमन की हर कली ,
खिल खिल के मुस्कायी,
नई डालें करें अठखेलियाँ,
ले ले के अंगड़ाई ।
मगर मेरी नसीबों की कली
रहती है मुरझाई ।
इसको कौन खिलाये ?
ऋतु आये ऋतु जाये।
खिल खिल के मुस्कायी,
नई डालें करें अठखेलियाँ,
ले ले के अंगड़ाई ।
मगर मेरी नसीबों की कली
रहती है मुरझाई ।
इसको कौन खिलाये ?
ऋतु आये ऋतु जाये।
बरखा की ऋतु आयी झूम के
रिमझिम रिमझिम बरसे
झिर झिर झिर झिर पड़े फुहारें
खेल करें अंगन से ,
मगर प्यासे नयन मेरे
रहे सावन में भी तरसे,
इस प्यास को कौन बुझाए,
ऋतु आये ऋतु जाये।
जगमग जगमग आई दीवाली
घर घर हुआ उजाला रे.
छम छम छम छम लक्ष्मी आई
पहने दीपक माला रे,
घर घर हुआ उजाला रे.
मगर मेरे बुझे दिल का
सदा संसार काला रे।
इस जोत को कौन जगाये ?
ऋतु आये ऋतु जाये।
रिमझिम रिमझिम बरसे
झिर झिर झिर झिर पड़े फुहारें
खेल करें अंगन से ,
मगर प्यासे नयन मेरे
रहे सावन में भी तरसे,
इस प्यास को कौन बुझाए,
ऋतु आये ऋतु जाये।
जगमग जगमग आई दीवाली
घर घर हुआ उजाला रे.
छम छम छम छम लक्ष्मी आई
पहने दीपक माला रे,
घर घर हुआ उजाला रे.
मगर मेरे बुझे दिल का
सदा संसार काला रे।
इस जोत को कौन जगाये ?
ऋतु आये ऋतु जाये।
1 comment:
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