- ठुमरी singing which was limited for a class of audience only who could attend music concerts and mehfils, was made popular among the common people by our हिंदी सिनेमा .The music directors of Hindi films composed thumri songs whenever they got a proper situation in the story.Thus a rich heritage of thumris is available ,if we reinvestigate the songs composed for Hindi films.The talent of many reputed vocalists of Hindustani Classical style were occasionally also used by Music Directors of Hindi Films, for such thumri compositions ,if the situation in the film allowed for it. Thus we have artists such as उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली खान , बेगम अख्तर , बिरजू महाराज , निर्मला देवी , लक्ष्मी शंकर , शोभा गुर्टू ,परवीन सुल्ताना , कृष्ण राव चोनकर , आरती अंकलीकर , अजोय चक्रवर्ती ,etc. singing for films also. The story of persuading Ustad Bade Ghulam Ali Khan for playback singing for the character of Tansen , in film ‘मुग़ल -ऐ -आज़म ’ (1960) is well known.He first refused flatly to music director of the film नौशाद but when producer-director के .आसिफ insisted, he asked for Rs.25000 as fees for each song so that he himself may withdraw. But K.Aasif accepted his proposal and Ustad sang the famous ठुमरी “प्रेम जोगन बन के …” in राग सोहनी -ललित for this film.Similarly सत्यजित राय in his famous Bangla movie ‘जलसा घर ’(1959) showed on screen बेगम अख्तर herself singing a पीलू ठुमरी “भर भर आयी अँखियाँ …”. Also when Ray produced हिंदी फिल्म ‘शतरंज के खिलाडी ’ he used the voice of बिरजू महाराज for a ठुमरी in राग खम्माज ,’कान्हा मैं तो पे वारी ..’ picturised on a कत्थक dancer in the court of नवाब वाजिद अली शाह . Here I am giving a few of the thumris from the Hindi films:(1). बाबुल मोरा नैहर छूटल जाय - के .एल .सहगल - स्ट्रीट सिंगर -(१९३४)- भैरवी (2). चंदा देस पिया के जा -अमीर बाई कर्नाटकी -भर्तृहरि -(१९४४)-हेमंत (3) साँझ भई नहीं आये --निर्मला देवी -शमा परवाना -(१९५५)-पहाड़ी (4) लागी नहीं छूटे राम -लता ,दिलीप कुमार - मुसाफिर -(१९५८) – भैरवी (5) चले जैहो बेदर्दा - राजकुमारी - बेक़सूर –( १९४९) – पीलू (6) आये ना बालम वादा.. - रफ़ी - शबाब -( १९५४) - भैरवी (7) सैयां जाओ जाओ तोसे न बोलूं .. -लता –झनक झनक पायल बाजे -(१९५५)- देश (8) कजरारी मतवारी तोरी .. - राजकुमारी - नौबहार -(१९५४) – देश (9). बाजूबंद खुल खुल जाये -लता –बाजूबंद -(१९५४) -भैरवी (10) कैसे जाऊं जमुना के तीर.... -लता - देवता -(१९५६) - भैरवी (11). बाट चलत नयी चुनरी ... -गीता रॉय – लड़की -( १९५३) -भैरवी (12) बाट चलत नयी .. –रफ़ी ,कृष्ण राव - रानी रूपमती –( १९५९) -भैरवी (13) सजना काहे नाही आये ..-ग़ुलाम मुस्तफा खान - बदनाम बस्ती -भैरवी (14). तुम क्या जानो .. .. – लता –शिन शिनाकी बूबला बू - 1952- जौनपुरी (15) बलमा अनाड़ी मन भाये –लता - बहूरानी - 1963 - हेमंत (16). प्रेम जोगन बन के .... - उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली खान - मुग़ल -ऐ -आज़म - 1960 - सोहनी -ललित (17) जा मैं तोसे नाही बोलूं – लता –सौतेला भाई - 1962 - अडाना (18) चाहे तो मोरा जिया - लता - ममता - 1966 - पीलू (19) काहे कान्हा करत बरजोरी –लक्ष्मी शंकर -बावर्ची - 1972 -खम्माज (20) रस के भरे तोरे नैन सांवरिया ...- हीरा देवी मिश्र – गमन -1972 - भैरवी (21) लागा चुनरी में दाग - मन्ना डे –दिल ही तो है -1963 – भैरवी (22) ना जा ना जा परदेसी - सुमित्रा लाहिरी - त्यागपत्र - -जंगला भैरवी (23) आये न बालम का करूँ - येसुदास - स्वामी -1977- –भैरवी (24) छोटा सा बालमा -आशा भोसले -रागिनी - -तिलंग (25) आयी ऋतु सावन की -भूपेंद्र ,मधुरानी - आलाप -1973 - देश (26) ठाड़े रहियो ओ बांके यार हो ... – लता - पाकीजा - 1971 -मांड (27) नजरिया की मारी मरी मोरी ... – राजकुमारी – पाकीजा - 1971 - पीलू (28) भर भर आयी अँखियाँ - बेगम अख्तर –जलसा घर (बंगला फिल्म ) -1959 – पीलू (29) कौन गली गयो श्याम - परवीन सुल्ताना – पाकीजा - 1971 –खम्माज (30) हमें तुमसे प्यार है कितना .. – परवीन सुल्ताना - कुदरत - 1981 – भैरवी (31) आन मिलो सजना - परवीन सुल्ताना , अजोय चक्रवर्ती - ग़दर -2003 -खम्माज (32). कान्हा मैं तो पे - बिरजू महाराज -शतरंज के खिलाडी -1977 -खम्माज (33) छबि दिखला जा - रेवा मुहुरी –शतरंज के खिलाडी -1977 -खम्माज (34) नैना ढूंढें तोहे श्याम रे ...- मन्ना डे – दिल की राहें - 1973 - काफी (35) लागी नाही छूटे – लता , मीना कपूर - सौतेला भाई - 1962 - भैरवी (36) चली पी के नगर –आरती अंकलीकर – सरदारी बेगम - -भैरवी (37) फूल गेंदवा न मरो - मन्ना डे – दूज का चाँद - 1964 –भैरवी (38) बाबुल मोरा नैहर – जगजीत , चित्रा सिंह - आविष्कार - 1973- भैरवी (39) साँवरा रे तोरे नैना लागे –संध्या मुख़र्जी – ममता -1966 – शिवरंजिनी (40) मोरा सैय्या सौतन घर जाए - वाणी जयराम – पाकीज़ा - 1971 - पहाड़ी (41) सैय्याँ रूठ गए –शोभा गुर्टू - मैं तुलसी तेरे आँगन की -1978-पीलू (42) मोरे सैय्याँ बेदर्दी – शोभा गुर्टू – फागुन - 1973 - भैरवी (43). हटो काहे को झूठी – मन्ना डे - मंजिल - 1959 -भैरवी (44) गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे .. - रफ़ी , आशा - मैं सुहागन हूँ - 1964 - देश (45) बैंयां ना धरो बलमा – लता - दस्तक - 1973 -नट भैरव (46) नज़र लागी राजा तोरे बंगले पे .. - आशा भोसले – काला पानी -1958 - विहाग (47) आयो कहाँ से घनश्याम ... - मन्ना डे - बुड्ढा मिल गया - 1971 - खम्माज (48) हेराई आयी कंगना नदिया किनारे ... -लता - अभिमान -1973 - पीलू (49) जाओ ना सताओ रसिया ... – लता – रूप की रानी चोरों का राजा -1961-बागेश्री . (50) जा जा रे जा बालमवा.... - लता – बसंत बहार - 1956 - बागेश्री (51) राधिके तूने बंसरी – Rafi - बेटी बेटे - 1964 - अडाना (52) क़दर जाने ना मोरा बालम ... - लता - भाई भाई - 1956 - भैरवी (53) बालमवा नादान - लता - आराम - 1951 - भैरवी (54) छाई कारी बदरिया बैरनिया हो राम ..-लता - जीवन ज्योति -1953-पीलू (55). मोरे कान्हा जो आये पलट के , उनसे खेलूंगी होरी ..-आरती अंकलीकर -सरदारी बेगम -2004- पीलू (56). मोरे सैंयाँ जी उतरेंगे पार हो -लता - उड़न खटोला -1955-पीलू ( 57).ढलती जाए चुनरिया हमारी ...-आशा भोसले -नौ दो ग्यारह -1959-पीलू (58).ठंडी ठंडी सावन की फुहार ...-आशा भोसले - जागते रहो -1956-तिलक कामोद ( 59).सखी कैसे धरूँ मैं धीर ..-लता - कवि कालिदास -1959- तिलक कामोद (60).सखी री सुन बोले पपीहा उस पार ..-लता , आशा - मिस मेंरी - 1957- तिलंग (61) सजन तोरी प्रीत रात भर की . .-आशा भोसले - सगाई - -सोहिनी (62).तुम काहे को नेहा लगाये ..-आशा भोसले - जासूस - - तिलंग (63).बड़ी देर से मेघा ...-आशा भोसले - नमकीन - -तिलक कामोद (64) मैंने रंग ली आज चुनरिया ..-लता -दुल्हन एक रात की -1966- पीलू (65). घर नाहीं हमरे श्याम .. -आरती अंकलीकर - सरदारी बेगम -2004-गौड़ सारंग (66) का से कहूं मन की बात ..- सुधा मल्होत्रा -धूल का फूल -1959- काफी (67) काहे गुमान करे री गोरी ...-के .एल .सहगल -तानसेन -1943-पीलू (68) कोई रोके उसे और यह कह दे - अमीरबाई कर्नाटकी -सिन्दूर -तिलक कामोद (69) सौतन घर न जा ..-राजकुमारी -वारिस -1959-तिलक कामोद .(70) आजा पिया मोहे निंदिया ना आये ..-संध्या मुखर्जी -आलोर पिपासा -1965-बागेश्री .(71) तड़प तड़प सगरी रैन गुजारी -अमजद खान -शतरंज के खिलाडी -1977-पीलू (72) पिया बिन नहीं आवत चैन ..-के .एल .सहगल -देवदास -1935 -झिंझोटी (73) रो रो नैन गवाओं सजनवा आन मिलो ..-अशरफ खान -बागवान -1938-मिश्र शिवरंजनी (74) बार बार तोहे क्या समझाए पायल की झंकार ..-लता ,रफ़ी -आरती -1962-मिश्र खम्माज (75) दो नैना मतवारे तिहारे हम पर ..-के .एल .सहगल - माय सिस्टर -1944-शुद्ध कल्याण (76) बालम आये बसों मोरे मन में ...-के .एल .सहगल - देवदास -1935-काफी (77) ना तोड़ो पिया लाज का बंधन ...-सलमा आगा -शीशे का घर -1983-मिश्र सोहिनी (78) सजन संग काहे नेहा लगाय ..-लता -मैं नशे में हूँ -1959-तिलंग (79)पा लागूँ कर जोरी श्याम मोसे ना खेलो होरी - लता मंगेशकर - आपकी सेवा में -1947 - पीलू (80)पिया के आवन की मैं सुनत खबरिया -उस्ताद अमीर खान-क्षुधित पाषाण-1958-खम्माज.(81)डारे जा,डारे जा ,डारे जा रंग... -शुभ्रा गुहा -यात्रा -2007-भैरव् .(82) जाओ जी जाओ .करो ना झूठी बतिया तुम तो बड़े हरजाई -शुभ्रा गुहा,अदिति भट्टाचार्य -यात्रा - 2007-मिश्र खम्माज. (83)मोरी अँखियाँ ढूंढ रही -शुभ्रा गुहा - यात्रा -2007- मिश्र पीलू .(84) भोर भई ना आये पिया ..-शोभा जोशी -हजारों ख्वाहिशें ऐसी - -भैरवी .(85)ढाई श्याम रोक लई...काहे छेड़ छेड़ मोहे ...-श्रेया घोषाल -देवदास - -बसंत बहार (86)ठहरो ज़रा सी देर तो आखिर चले ही जाओगे ..-गीता दत्त - सवेरा - -बिलावल .(87) सुनो सजना पपीहे ने कहा सबसे पुकार के ..- लता - आये दिन बहार के - - बिलावल . (88)हे बंधन बांधो ..-शोभा गुर्टू -पाकीज़ा -1971- भूपाली .(89)सैया हो तोसे लागे नैना ..- रफ़ी, आशा भोसले - नयी राहें - -भैरवी .( 90) कान्हा बैरन हुयी बांसुरी....-रेखा भारद्वाज -वीर -2009 - मिश्र खम्माज . (91)तडपे बिन बालम मोरा जिया -शुभरा गुहा - यात्रा -2007- दादरा .(92)ना बजैहो ना बजैहो श्याम बैरन बांसुरी ...-लता मंगेशकर -आलोर पिपासा -1965-जंगला भैरवी.(93)घिर आयी बदरिया पिया नहीं आये...-लता मंगेशकर -आलोर पिपासा -1965-शहाना.(94)बलमा बड़ा नादान रे ...-लता मंगेशकर -अलबेला -1953-भीमपलासी (95)मोरे अंगना आये री घनश्याम...-लता मंगेशकर -नरम गरम - -भीमपलासी (96)जाओ जाओ नन्द के लाला तुम झूठे ..-लता मंगेशकर -रंगोली -1962-बागेश्री (97)अब तो सजन घर आ जा ..-लता मंगेशकर -झनक झनक पायल बाजे -1955-पीलू (98)जिया नहीं लागे का करू सजना -लता मंगेशकर -सौ साल बाद -1964-अभोगी .(99)चले आओ सैय्याँ पडू मैं तोहरे पैय्यां...-श्रेया घोषाल -खोया खोया चाँद -2005-देस (100)बाजूबंद खुल खुल जाए ...- -बनारस -2003- भैरवी (101)तुम्हारी अदाओं पे मैं वारी वारी ....- -मंगल पाण्डे-2009- दरबारी .(102)बेईमान तोरे नैनवा निंदिया ना आये ..-लता मंगेशकर-तराना -1954-मिश्र खम्माज.(103)मोरी बाली रे उमरिया अब कैसे बीते राम..-लता मंगेशकर -1964 -मिश्र खम्माज.(104)कान्हा कान्हा आन पडी मैं तेरे द्वार..-लता मंगेशकर -शागिर्द -1966-खम्माज.(105)अब आगे तेरी मर्ज़ी ...-लता मंगेशकर -देवदास -1955-मारू विहाग.(106)चली गोरी पी से मिलन को चली..-हेमंत कुमार -एक ही रास्ता -1955-सिन्धु भैरवी.(107)दिल लगा के क़दर गयी प्यारे ..-आशा भोसले -काला पानी-1958- मिश्र पीलू.(108)रैना बीती जाए श्याम ना आये ..-लता मंगेशकर -अमर प्रेम -1968-गुर्जरी तोडी.(109)झूठे नैना बोले साँची बतिया ..-आशा भोसले -लेकिन -1993-बिलासखानी तोडी.(110)जा रे बदरा बैरी जा रे ..-लता मंगेशकर -बहाना -1961-यमन कल्याण.
RARE INFORMATIONS ON HINDUSTANI CLASSICAL MUSIC USED IN COMPOSING SONGS FOR HINDI FILMS.ALMOST ALL THE 'RAAGMALIKAS'COMPOSED FOR HINDI FILMSARE GIVEN WITH COMPLETE LYRICS IN 'HINDI'.INFORMATIVE DETAILS ON VARIOUS RENOWNED CLASSICAL MUSIC ARTISTS, WHO WORKED FOR HINDI FILMS AND MANY MORE INTERESTING ARTICLES ON CLASSICAL AND LIGHT-CLASSICAL MUSIC,JUGALBANDIS,MUSIC- COMPETITIONS,LIVE CONCERTS,ETC.
Friday, February 27, 2009
THUMRI SONGS (HINDI) IN FILMS
Monday, February 23, 2009
RAAGMALIKA IN HINDI FILM: UMRAO JAAN ( 1982)
Rekha as UMRAO JAAN |
KHAYYAM |
GULAM MUSTAFA KHAN |
COVER OF LP RECORD |
रागमालिका begins with an आलाप and prayer:
”प्रथम धर ध्यान दिनेश,
ब्रह्मा विष्णु महेश …” in राग भैरव.
Second song is:
“अब मोरी नैय्या पार करो तुम,
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया ..” composed in राग तोड़ी.
It is followed by a traditional composition in राग केदार:
“सगुन विचार आयो बमना,
कब पिया आये मोरे मंदिरवा …”.
In the mean time children are shown growing during their music and dance training and Raagmalika continues with the next number a होरी composed in राग काफी :
“बिराज में धूम मचायो कान्हा,
कैसे कर जाऊं अपने धाम ..”,
followed by:
“ दर्शन दो शंकर महादेव |
महादेव तिहारे दरश बिना,
मोहे कल न परत घरी पल छिन दिन || …”
in राग यमन कल्याण and on it the grown up 'उमराव जान '(रेखा) is shown dancing on the steps of कत्थक.Along with dance steps both disciples further sing with their Ustad a मालकौंस number:
“ पकरत बैयाँ मोरी बनवारी,
चुरियाँ करक दई सारी अनारी ।।…”.
The Raagmalika concludes with a Holi Song in भैरवी :
“ बांसुरी बाज रही धुन मधुर कन्हैय्या की,
खेलन जावत होरी …।।”.
All the seven compositions reflect the talent and skill of musical genius खैय्याम ,the veteran music composer of Hindi films.
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LYRICS:TRADITIONAL,
Malkauns,
MUSIC:KHAYYAM,
Rekha,
TODI,
UMRAO JAAN(1982),
YAMAN KALYAN
RAAGMALIKA IN HINDI FILM: PHOOLON KI SEJ (1964)
Adinarayan Rao |
Hasrat Jaipuri |
Manna Dey |
Lata Mangeshkar |
तन मन सुलगाये,
चमकत प्रेम ज्वाला नंदलाला ||
जुल्मी याद आवन लागी ,
मोहे रोज रोज तड़पावन लागी …..
सांवरो कहाँ? मैं हूँ तिहारी ,
प्रीत की मारी , आ जा मुरारी ||
आ भी जा रसिया ,
मन मोरा प्यासा ||
नैन कमल हैं निसदिन तरसे ,
बिन बादल है झर झर बरसे ||
बिन तोरे कछु नाही भावे ,
आ रे आ मोरी थाम ले बैयाँ ||
आ भी जा रसिया …।।”
was sung by लता मंगेशकर , in राग अडाना , followed by a dance number:
“छुम छुम छुम छुम छुम्कत नाचत कन्हाई |
चाल ढाल छवि न्यारी दे दे तारी ,
तट बाजत पग नुपुर झंकारी ..” in the voice of मन्ना डे in राग सारंग .
The next song is in the voice of लता :
"जा रे जा कान्हा जा रे जा |
चलो छोडो मोरा हाथ जालिमा ,
हटो तोसे हम न बोले जालिमाँ,
कान्हा जा रे जा||"
in राग कल्याण .
Now मन्ना डे sings in राग खम्माज for Gopi Krishna showing कृष्ण persuading राधा:
"हम से न रूठो राधा,जिया न जलाओ राधा|
मुरली की तान तुम राधा |
मोरा तुम ही राग, तुम ही रंग ,तुम ही प्राण हो,
राधा प्राण हो …||".
Then happy mood is reflected by lovely कत्थक Dance pieces and both sing a duet in राग सोहिनी:
”मनमोहना पिया तू जो मिला,
मेरा खोया दिल मिल गया ||
सुन सुन सुन मोरे सांवरिया ,
रूंन झुन झुन बजे पायलिया ||
तन मन तो झूमे प्रीत भरा,
छुन छुन छुन नाचे तारों के साथ ||
मनमोहना पिया तू जो मिला ,
मोरा खोया दिल मिल गया....... ||”
in the voices of लता , मन्ना डे and chorus. Ballet comes to its end with सरगम and dance instrumental in तीन ताल . This composition was a confirmed proof of musical genius of music directorआदि नारायण राव .
Thursday, February 12, 2009
THUMRI :A STYLE OF CLASSICAL SINGING
LAKSHMI SHANKAR |
GIRIJA DEVI |
NIRMALA DEVI |
SHOBHA GURTU |
SIDDHESHWARI DEVI |
BEGUM AKHTAR |
USTAD BADE GHULAM ALI KHAN |
Sunday, February 8, 2009
A CLASSICAL MUSIC CONCERT TO REMEMBER
Today I was going to listen to their musical heritage, being preserved and groomed further by their able daughter.
This concert was organised by 'Pancham Nishad' .First of all we did prayers and darshan of Shri Siddhi Vinayak ji , then we just crossed the open ground between the temple and the venue of concert and got into our seats exactly by 6:30 AM. To our astonishment the vocalist Sushri Kalapini Komkali was already present on the dais and she was being introduced to the audience by Shri Shashi Vyas. This punctuality of time was being seen by us for the first time,which is almost never followed,in such type of classical-music concerts.
She began her programme by rendering a khayal in raga Nat Bhairav then Bilawal and two Taranas, all were superb, reminding us,of the melodious voice and the singing style of her father, Late Pt. Kumar Gandharva. She concluded the concert by singing the favourite Meera Bhajan of her father 'Mhara olagia ghar aaya ji..' in Bhairavi.I cannot forget the discipline and devotion with which everyone attended the concert.
Those two musical hours of the concert, I will remember till my whole life. Organisers were expecting a small gathering but it grew to a huge strength of about five hundred people.This shows the magnetic effect of her singing and our divine classical music!!
Monday, February 2, 2009
LIGHT CLASSICAL MUSIC IS FOR MASSES
BEGUM AKHTAR |
GIRIJA DEVI |
SHOBHA GURTU |
Hindustani classical music in all its known vocal and instrumental forms,is composed, using the seven basic notes: सा ,रे , गा , म , प् , ध & नि , known as the सरगम of Music.Using these notes along with their all possible variations, in different modes and proportions, a large number of Raagas and Raaginis have been composed by the Pandits and Ustads of music,since centuries back . Making finer changes in the treatment of the ragas at different levels various Gharana traditions took birth . Thus we have a rich heritage of vocal and instrumental compositions ,which is known as our Indian Classical Music.Out of these standard compositions, the light classical form also got developed, side by side, as the simpler form of basic ragas.Thus alongwith the ख्याल singing of ragas, टप्पा , ठुमरी , दादरा , गीत , ग़ज़ल , भजन etc. came in light.The changing norms and moods of the society with time gets reflected in these compositions. Also the 'folk music' is deeply rooted in our day to day village life and this form of music directly expresses the influence of changing seasons and months over the life of villagers.This gave birth to vocal singings of चैती ,कजरी ,झूला ,बिरहा ,होरी , मांड ,सोहर ,बारहमासा etc. in masses. Through these songs common people and peasants, revealed the moments of happiness and different types of miseries, prevailing in their lives. Some of these like पहाड़ी and मांड have been adopted as raagas in the tradition of classical music. It is observed that, may be a village life or a modern city life,we cannot seperate music from it,because our all important occasions in life and all the festivals are celebrated by singing,dancing and playing of a variety of musical instruments.Thus music is so deeply embibed in our day to day lives that one cannot seperate oneself from it.Thus music is an essence of human life. It is said that‘Classical Music Is For Classes And Not For Masses’, but I say that ‘Light classical form of music is for masses’.The Hindi films are also doing a great job of popularizing our light-classical music among the masses.Hundreds of popular Thumris,Dadras,Bhajans,Ghazals,Hori etc. have been composed in Hindi films.पंडित छन्नूलाल मिश्र के स्वर में एक पारंपरिक सोहर प्रस्तुत है :
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